
श्री प्रियदर्शी आत्मानंद (अध्यक्ष)
मीरा कल्याण संस्था, भागलपुर
इस संस्था के निम्नलिखित मुख्य उद्देश्य होगें।
1. समाज के गरीब, दलित, महादलित, पिछड़ों अल्पसंख्यकों कमजोर वर्गों के आर्थिक, समाजिक शैक्षणिक सांस्कृतिक नैतिक विकास हेतु विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन करना हैं।
2. समाज में व्याप्त निरक्षरता के उनमूलन हेतु शिक्षा के विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन करना। विभिन्न स्थानों पर और विभिन्न स्तरों की शिक्षण संस्थान का संचालन करना। मेघावी गरीब छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित करना एवं उच्च शिक्षा ग्रहण करने में मदद करना।
3. लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा हेतू स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना। परिवार कल्याण सिविर टीकाकरण सिविर एवं अन्य स्वास्थ्य शिविर का आयोजन करना। असाध्य रोग एड्स, कैंसर, टी.वी. कालाजार, हेपोटाईटीस आदि से बचने हेतु आवश्यक जानकारी देना एवं ग्रसित लोगों को चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराना तथा स्वास्थ्य केन्द्र के साफ-सफाई एवं अन्य कार्यक्रमों का संचालन करना।
4. समाज के गरीब एवं निःसहाय लोगों के आर्थिक विकास हेतु लघु उद्योग, कुटीर उद्योग, गृह उद्योग, खादी ग्रामोद्योग, मत्सय पालन, मधुमक्खी पालन रेशमकीट पालन, पशुपालन, डेयरी उद्योग, फल एवं खाद्य प्रसंस्करण का प्रशिक्षण देना एवं स्वावलंबी बनने में मदद करना। जन वितरण प्रणाली संबंधित कार्य करना।
5. महिलाओं को रोजगारोन्मुख बनाने हेतु सिलाई कटाई, बुनाई, पेन्टिंग, मधुबनी पेंटिंग, एपलिक, सौन्दर्य एवं अन्य व्यवसायिक प्रशिक्षण देना एवं स्वावलम्बी बनाने में मदद करना ।
6. महिलाओं एवं बच्चों के चौमुखी विकास हेतु महिला मंडल स्वयं सहायता समूह पालन गृह, पौष्टिक आहार केन्द्र, महिला सशक्तिकरण आदि कार्यक्रमों का संचान करना ।
7. समाज में व्याप्त कुरीतियों जैसे बाल-विवाह, वैश्यावृति, दहेज प्रथा, संप्रदाय वाद इत्यादि कि समाप्ति करने हेतु विभिन्न कार्यक्रमों संगोष्ठियों शिविर पदयात्रा प्रतियोगितायें आदि का आयोजन करना। आदर्श विवाह एवं अन्तर्जातीय विवाह को प्रोत्साहित करना
18. नेत्रहीन, मूक, बधीर, शारीरीक रूप से विकलांग एंव मानसिक रूप से अर्धविकसित बच्चों लोगों के शैक्षणिक विकास हेतु कार्य करना। उनके लिये कल्याणकारी कार्यों का संपादन करना। विकलांगता के रोकथाम हेतु कार्य करना।
9. संस्था द्वारा शिक्षित बेरोजगार युवक युवतीयों को स्वावलंबी बनाने हेतु टंकन कला, आशूलिपि, कम्प्यूटर इलेक्ट्रोनिक्स, भू-मापक (अमीन) आपदा प्रबंध प्रशिक्षण तकनीकी, गैर तकनीकी एंव अन्य प्रकार के व्यवसायिक प्रशिक्षण देना एवं स्वावलंबी बनने में मदद करना।
10. ऊर्जा के संरक्षण हेतु बायो गैस प्लांट, सौरऊर्जा, ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्त्रोतों की जानकारी देना एवं उपलब्ध कराना।
11. पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त बनाने हेतु वृक्षारोपण एवं अन्य कार्यक्रमों का संचालन करना। ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र में स्वच्छता अभियान का संचालन करना। लोगों को स्वच्छ पेयजल, शौचालय आदि उपलब्ध कराना।
12. पंचायती राज व्यस्क मताधिकार, मानवाधिकार, सूचना के अधिकार, उपभोक्ता संरक्षण आदि के बारे में लोगों को जानकारी देना एवं जागरूक करना।
13. प्राकृतिक आपदा एवं अन्य आपातकाल में अनेकानेक जन कल्याणकारी कार्यक्रमों का संचालन करना प्राकृतिक प्रकोपों से पीड़ित जन समुदाय को हर सहयोग करना।
14. कृषि एवं बागवानी के विकास हेतु कृषकों को आधुनिक औजार उन्नत बीज, उन्नत खाद वर्मी कम्पोस्ट, सिंचाई के उपयुक्त साधन, जलछाजन, जलसंचयन, नलकुप तालाब, पोखर आदि उपलब्ध करना।
15. कोष का संचालन
संस्था के सभी कोष को किसी बैंक या डाकघर में संस्था के नाम पर जमा किया जाएगा, जिसकी निकासी अध्यक्ष, सचिव एवं कोषाध्यक्ष में से किन्हीं दो पदाधिकारियों के संयुक्त हस्ताक्षर से की जायेगा, जिसमें कोषाध्यक्ष का हस्ताक्षर अनिवार्य होगा।
16. पंजी का निरीक्षण :
संस्था की सभी पंजियों निबंधित कार्यालय में जमा रहेगी, जहाँ कोई भी सदस्य सचिव की अनुमति से सदस्य पंजी, लेखा पंजी एवं कार्यवाही पंजी का निरिक्षण कर सकते हैं।
17. नियमावली में संसोधन :
नियमावली में संसोधन आमसभा के 3/5 सदस्यों द्वारा प्रस्ताव पारित करने पर ही किया जाएगा।
18. कानूनी कार्यवाई
संस्था पर या संस्था के द्वारा कानूनी कार्यवाई पद सचिव के पदनाम से होगी तथा
अधिवक्ता की नियुक्ति समिति की सलाह से की जाएगी।
19. विघटन एवं विघटनोपरान्त सम्पत्ति की व्यवस्था :
19.1 - संस्था का विघटन संस्था अधिनियम 1860 के धारा 13 के आलोक में
सरकार का अनुमोदन प्राप्त करने के बाद ही किया जाएगा।
19.2 - आमसभा के 3/5 सदस्यों द्वारा प्रस्ताव पारित करने पर ही संस्था का
विघटन किया जाएगा।
19.3 - विघटन के उपरान्त जो चल एवं अचल सम्पत्ति बचेगी वह किसी सदस्य या गैर सदस्यों में नहीं बांटी जायेगी बल्कि आम सभा की सहमति से समान उद्देश्य वाली संस्था या सरकार को दे दी जाएगी।